Pearl stone
शास्त्रों के अनुसार रत्नों और उपरत्नों की कुल संख्या चौरासी (84) मानी गई है किन्तु इनके अतिरिक्त भी कुछ अन्य उपरत्न भी होते हैं जिन्हें बाद में उपरत्नों की श्रेणी में रखा गया है।
इन उपरत्नों में कुछ ऐसे उपरत्न भी हैं जो प्राय: अप्राप्य या दुर्लभ हैं। साथ ही इनमें से उपरत्न भी शामिल हैं जो रत्नों के रूप में आभूषणों में जड़ने में काम नहीं आते अथवा ज्योतिष की दृष्टि से भी जिनका कोई महत्व नहीं है किन्तु प्रसंगवश सभी रत्न-उपरत्नों का विवरण यहां दिया जा रहा है।
इन सभी रत्नों में मात्र नौ ही रत्न ऐसे हैं जिन्हें नवरत्न की संज्ञा दी गई है। ये रवरत्न इस प्रकार हैं
माणिक, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया।
इन नवरत्नों में भी मोती, माणिक, नीलम, हीरा और पन्ना इन पांच रत्नों को ही विशेष स्थान प्राप्त होने के कारण इन्हें महारत्न माना गया है।
इनके अतिरिक्त मूंगा, पुखराज, गोमेद और लहसुनिया को केवल रत्न माना गया है। इन नवरत्नों के अतिरिक्त जितने भी रत्न हैं, उन्हें उपरत्न ही माना गया है। इन सभी रत्नों व उपरत्नों का सामान्य परिचय निम्न प्रकार है-
मोती (Pearl stone)
पर्याय नाम-संस्कृत-मुक्ता, सौम्या, नीरज, तारका, शशि-रत्न, मौक्तिक, शुक्ति मणि, बिन्दुफल आदि।
हिन्दी-मोती।
पंजाबी-मोती।
उर्दू व फारसी-मुखारिद।
अंग्रेजी-पर्ल लेटिन-मार्गारिटा ।
परिचय-मोती 9 प्रकार के कहे गए हैं।
1. गजमुक्तक-यह विश्व का सर्वश्रेष्ठ मोती माना जाता है। यह मोती हाथी के मस्तक से प्राप्त होता है। इसलिए इसका नाम गजमुक्ता रखा गया है।
परन्तु यह मोती Pearl stone सभी हाथियों के मस्तक से नहीं प्राप्त होता। यह मात्र उन्हीं हाथियो से प्राप्त होता है जिनका जन्म पुण्य या श्रवण नक्षत्र में सोमवार या रविवार के दिन सूर्य के उत्तरायण काल में होता है।
गजमुक्ता हाथियों के दन्तकोषों व कुम्भस्थलों से भी प्राप्त होता है। ये मोती सुडौल, स्निग्ध एक तेजयुक्त होते हैं। इसके शुभ तिथि में धारण करने से सभी प्रकार के कष्ट शान्त हो मन का शक्ति प्राप्त होती है। गजमुक्ता को न तो छेदना (Hole) चाहिए और न ही इसकी कीमत ही लगानी चाहिए।
2. सर्पमुक्तक-यह मोती उच्चकोटि के वासुकि जाति के सर्प के मस्तक में पाया जाता है। जैसे जैसे सर्प दीर्घायु होता जाता है, वैसे-वैसे यह मोती हरे नीले रंग का तेजमय व अत्यन्त प्रभावशाली होता जाता है।
यह मोती अत्यन्त ही भाग्यशाली पुरुष को भी अति दुर्लभता से प्राप्त होता है। शुभ तिथि में इसके धारण करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
3. वशमुक्तक- यह मोती बांस में उत्पन्न होता है, जिस बांस में यह मोती होता है उस बांस में से स्वाति, पुष्य अथवा श्रवण नक्षत्र के एक दिन पहले से ही विशेष प्रकार की आवाज निकलने लगती है तथा उस नक्षत्र की समाप्ति तक वेदध्वनि की तरह आवाज आती रहती है।
उस बांस को बीच में से फाड़कर मोती निकाल लेते हैं। इसका रंग हल्का हरा तथा आकार में गोलाकार होता है। इस मोती के धारण करने से भाग्य का उदय तथा अपार धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है तथा राज्यपक्ष व समाज में भी उच्चपद व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
4. शंख मुक्तक-यह समुद्र में प्राप्त होने वाले पाञ्चजन्य नामक शंख की नाभि से प्राप्त होता है। इसका रंग हल्का नीला सुडौल और सुन्दर होता है। इस पर यज्ञोपवीत की भांति तीन रेखाएं अंकित रहती हैं।
इसमें कोई चमक नहीं होती। इसके धारण करने से स्वास्थ्य व लक्ष्मीवर्द्धक तथा सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला होता है। इसे बींधना नहीं चाहिए।
5. शूकर मुक्तक- यह मोती सुअर के मस्तिष्क में पाया जाता है। यह मोती पीत-वर्ण का गोल, सुंदर व चमकदार होता है। इसके धारण करने से स्मरण शक्ति व वाक शक्ति की वृद्धि होती है। तथा इस मोती से मात्र कन्या वाली स्त्री के गर्भ धारण करने पर निश्चय ही पुत्र लाभ होता है।
6. मीन मुक्तक-यह मोती मछली के पेट से प्राप्त होता है। यह चने के आकार का पाण्डु रंग का चमकदार आभायुक्त होता है। इसको पहनकर पानी में डुबकी लगाने से पानी के अन्दर की वस्तएं साफ-साफ दिखाई देती हैं |
7. माकाश मुक्तक-यह विद्युत की भांति चमकदार एवम् गोल होता है। यह पुष्य नक्षत्र की घनघोर वर्षा में कहीं एकाध मोती गिरता है। इसके प्राप्त करने से मनुष्य भाग्यशाली एवं तेजस्वी, यशस्वी बनता है तथा अपार गुप्त सम्पत्ति को प्राप्त करता है।
8.मेघ मुक्तक-रविवार के दिन पड़ने वाले पुष्य या श्रवण नक्षत्र की वर्षा में एक- दो मोती कहीं गिर पड़ता है। इसका रंग मेघवर्ण के सदृश्य श्यामवर्ण का चमकदार होता हे,तथा यह सभी प्रकार के अभाव को दूर करता हे |
9.सीप मुक्तक-ये मोती सीप से प्राप्त होते हैं। इन्हें भी छेदा जाता है। स्वाति नक्षत्र मे होने वाली वर्षा की बूद यदि सीप में पड़ती है तो यह मोती बनता है। ये आकार में विभिन्न प्रकार के होते हैं। लम्बे, गोल, बेडौल, सडौल तीखे ओर चटके|
श्याम व बसरे की खाडी में प्राप्त मोती श्रेष्ठ होता है। बसरा का मोती हल्के पीत वर्ण का मटमैला होता है। इसके धारण करने से धन प्राप्ति, स्वास्थ्य वर्द्धक तथा सुख देने वाला होता है।
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भौतिक गुण-मोती खनिज रत्न न होकर प्राणीज रत्न है।
इसकी कठोरता 3. 5-4,
आपेक्षिक गुरुत्व 2.65 से 2.85 या 2.69 से 2.84 तक होता है।
मोती के लक्ष्य भेद
कल्चर मोती (Pearl stone)
विश्व में मोती की बहुतायत मांग को देखकर वैज्ञानिकों ने ‘कल्चर मोती’ उत्पन्न करने की विधि का विकास किया। इस विधि का विकास जापान के वैज्ञानिकों ने किया।
इस विधि में स्वाति नक्षत्र की वर्षा की बूंदों के समान तत्त्व वाले रासायनिक द्रव्य को समुद्री धोंघे के पेंदे में छिद्र करके अन्दर डाल देते हैं, तथा घोंघे के आवरण तन्तु से बना एक दाना उसके अन्दर प्रविष्ट कर देते हैं।
इस दाने पर घोंघा मुक्ता पदार्थ का आवरण चढ़ाना आरंभ कर देते हैं। लगभग साढ़े तीन वर्ष में यह कल्चर मोती 1 मि.मी. बड़ा हो जाता है तथा अधिक वर्षों के व्यतीत होने पर यह मोती 10 मि.मी. व्यास तक बड़ा हो जाता हैं |
(Pearl stone)असली मोती व कल्चर मोती में अन्तर
असली मोती को बिधने पर बाहर भीतर एक ही समान होता है जबकि कल्चर मोती के बिधने पर अंदर घोंघे में प्रविष्ट कराए विजातीय पदार्थ स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं। बिधते हुए सुई बाहर निकालने पर असली मोती की अपेक्षा कल्चर मोती का छेद बड़ा हो जाता है।
नकली मोती (Pearl stone)
नकली मोती का उल्लेख शुक्रनीति अ. 4 तथा गरुड़ पुराण में भी किया गया है। ये नकली मोती मोम भरे कांच के अथवा ठोस कांच के मुक्ता माता आदि से निर्मित किए जाते हैं।
इन नकली मोतियों को मछली के ऊपर के कटोर आवरण द्वारा निर्मित घोल में डुबाने के बाद देखने से असली मोतियों की ही भांति सुन्दर व आकर्षक लगते हैं। परन्तु ये दीर्घायु नहीं होते हैं।
इन नकली मोतियों को नमक मिश्रित तेल युक्त गरम जल में रात भर डूबा रहने दें और प्रात: सूखे कपड़े में लपेटकर धान से मलने पर रंग बदल जाता है।
श्रेष्ठ मोती के मिश्रित गुण
श्रेष्ठ मोती Pearl stone तारा के समान प्रकाशमान, पूर्ण रूपेण सुन्दर, गोलाकार, स्वच्छ, अत्यन्त पवित्र और मल रहित होता है तथा ठोस स्निग्ध, छाया युक्त और स्फुटित अर्थात् चोट रहित होता है।
इस पर किसी प्रकार की खरोंच नहीं होती। श्रेष्ठ मोती में जो छाया होता है वह तीन प्रकार की होती है। शहद मिश्री तथा चन्दन के टकडे के समान। तथा जिस मोती को देखते ही हृदय में प्रसन्नता प्रकट हो, रंग सफेद हो, हल्का हो, गुरुत्व
अधिक न हो, चिकना हो, चन्द्रमा की स्वच्छ किरणों की तरह निर्मल व उज्जवल हो और जल की भाति छाया उत्पन्न करने वाला हो, तथा सुन्दर गोल हो।
मोती के विकार दोष
मोतियों में बहुत से दोष भी पाए जाते हैं। अत: मोती धारण करने से पूर्व अच्छी तरह परख लेना चाहिए कि कहीं उसमें कोई दोष न हो। क्योंकि सदा दोषयुक्त मोती पहनने से ही हानि की सम्भावना रहती है। अतः सदा निर्दोष मोती ही धारण करना चाहिए,
(Pearl stone)मोती में निम्न दोष पाए जाते हैं।
1. टूटा मोती-टूटा हुआ मोती पहनने से मन में चंचलता, व्याकुलता व कष्ट की वृद्धि होती है, क्योंकि टूटा मोती सदा ही अशुद्ध होता है।
2. सूनन् मोती-आभाहीन मोती को कहा जाता है। इसके धारण करने से निर्धनता होती है।
3. गड्ढेदार मोती-गड्ढेदार मोती स्वास्थ्य एवं धन सम्पदा को हानि पहुंचाने वाला होता है।
4. चोंच मोती-चौच के आकार वाला अथवा चेचक जैसे दाग वाला मोती पुत्र कष्ट देने व वंस हानि करने वाला होता है।
5. चपटा मोती-यह सुख सौभाग्य नाशक व चिन्ता वर्धक होता है।
6. मसा मोती-छोटे से काले दाग वाले मोती को ‘मसा-दोषी मोती’ कहते हैं। इसके धारण करने से स्वास्थ्य की हानि होती है।
7. रेखादार मोती-मोती के अन्दर दिखाई देने वाली रेखा वाला मोती पहनने से यश एवं ऐश्वर्य की हानि होती है।
8. मेंडा मोती-जिस मोती में चारों तरफ वलयाकार रेखा अंकित होती है, जिसे देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि दो टुकड़े आपस में जोड़े गए हैं। इसका धारण करना भयवर्द्धक तथा स्वास्थ्य व हृदय को हानि पहुंचाता है।
9. लहरदार मोती-जिस मोती के बीच में लहरदार रेखाएं दिखाई देती हैं। उसके पहनने से मन में उद्विग्नता व धन की हानि होती है।
10. दुर्बल मोती-यह मोती लम्बा व बेडौल तथा दुर्बल होता है। इसे धारण करने से बल व बुद्धि की हानि होती है।
11. छाला मोती-जिस मोती में छाला के समान उभार उठा हुआ हो, वह मोती धन सम्पदा व सौभाग्य को नष्ट करता है।
12. मटिया मोती-जिस मोती के भीतर मिट्टी हो वह गुणहीन होता है।
13. काक मोती-काले रंग से युक्त गर्दन वाला मोती पहनने से अपयश को देने वाला तथा पुत्र कष्ट को करने वाला होता है।
14. दरार युक्त मोती-जिस मोती की ऊपरी सतह फटी हुई हो उसके धारण करने से नाना प्रकार के कष्ट होते हैं।
15. कृष्ण झाईंदार मोती-काले रंग की झाईं से युक्त मोती पहनने से अपयश की प्राप्ति होती है, तथा अचानक ही अपमानित भी होना पड़ता है।
16. त्रिकोणात्मक मोती-तीन कोने वाले मोती को धारण करने से नपुंसकता की वृद्धि होती है तथा बल, वीर्य एवं बुद्धि का नाश होता है।
17. ताम्रक-ताम्र वर्ण का मोती धारण करने से भाई, बहन व परिवार का नाश – होता है।
18. चतुष्कोणीय मोती-चार कोणों से युक्त चपटा मोती पहनने से पत्नी का नाश होता है।
19. रक्तमुखी मोती-मूंगे की भांति रक्त वर्ण का मोती पहनने से धन का नाश होता है तथा चारों ओर से विपदा आ पड़ती है।
20. मगज मोती-इसमें मोती के अन्दर का भाग कठोर तथा ऊपर की सतह झिल्ली के समान पतली होती है तथा इस पर काली आभा होती है। इसे आसानी से बींधा जा सकता है। ये मोती भी हानिकारक होते हैं।