नीलम
पर्याय नाम-संस्कृत-नील, नीलम, शौरिरत्न, इन्द्रनील, तणग्राही, नीलमणि आदि।
हिन्दी-पंजाबी-नीलम,
उर्दू-फारसी-नीलम,
English-सेफायर(Sapphire)
परिचय-नीलम शनिग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। यह कुरुन्दम समूह का रत्न है तथा माणिक्य भी। लाल कुरुन्दम माणिक्य कहलाता है, जबकि अन्य रंगों वाले कुरुन्दम नीलम कहलाते हैं।
जैसे श्वेत नीलम, हरा नीलम, बैंगनी आदि। परन्तु जैसा कि नीलम नाम से आभास होता है, विशेषकर आसमानी चमकीले गहरे नीले, मखमली नीले और भुट्टे के फल के रंग के समान को नीलम नाम दिया जाता है।
प्राप्ति स्थान
1. काश्मीर-यहां सर्वश्रेष्ठ नीलम होता है इसका रंग मोर की गर्दन के समान नील वर्ण का होता है।
2. बर्मा-इसमें हरापन कम तथा सुन्दर नील वर्ण का होता है।
3. लंका-यहां प्राप्त नीलम में लाल रंग की आभा विशेष रूप में पायी जाती है तथा कृष्णाभ भी पाया जाता है।
4. श्याम-यहां प्राप्त नीलम कृष्णाभ हरित वर्ण का होता है।
5. सलेम-(द. भारत) यह पीत व नील वर्ण का होता है।
6. आस्ट्रेलिया-यह गहरे नीले रंग का होता है।
7. मोटाना-अमेरिका के नीलम की चमक धातु की तरह चमकीली होता है।
8. रोडेशिया तथा त्रोयत्स्क मीरक (रूस) में भी नीलम प्राप्त होते हैं, परन्तु यह घटिया किस्म का होता है।
Sapphire stone नीलम भौतिक गुण
औरता – 9.
आपेक्षिक घ.- 4.03,
वर्तनांक-1.76 से 1.77,
दहरावर्तन-0008,
तर्गता अतिस्पष्ट, बिना सूक्ष्म दर्शक भी द्रष्टकं भंगर
1.Diamond, hira stone, हीरा रत्न | benifits of Diamond stone
2.spinel, spinel red, लालड़ी रत्न | benifits of spinel red
3.Ruby, manik stone, माणिक्य रत्न | benifits of manik ratan
नीलम की किसमें
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से नीलम के भेद-
1.जलनील-जिस नीलम के भीतर सफेद रंग होता है तथा उसके चारों तरफ नीलिमा होती है तथा हल्का होता है उसे जलनील कहते हैं।
2.इन्द्रनील-इन्द्रनील नीलम के भीतर श्याम रंग की आभा तथा बाहर चारों तरफ नीलिमा होती है और यह सामान्यतया वजन में भारी होता है।
वर्ण भेद से नीलम (Sapphire stone) के भेद-
1. ब्राह्मण-यह स्वेत रंग की आभायुक्त होता है।
2. क्षत्रिय-यह लाल रंग की आभायुक्त होता है।
3. वैश्य-यह पीत वर्ण की आभायुक्त होता है।
4. शूद्र-यह काले रंग की आभायुक्त होता है।
नीलम के श्रेष्ठ गुण
उच्चकोटि के नीलम में निम्न गुण पाए जाते हैं-
चिकनापन, स्वच्छ, चमकदार, पारदर्शी, अच्छे पानीदार, सुडौल कोणयुक्त, मयूर पंख के रंग के समान, स्पर्श करने में मुलायम तथा उसके भीतर से किरणे प्रस्फुटित होती हुइ, एक ही वर्ण का तथा तिनके से चिपक जाने का गुण हो तो उसे श्रेष्ठ नीलम कहते हैं।
नीलम के दोष
दोषयुक्त नीलम नहीं पहनना चाहिए अन्यथा लाभ के बजाय हानि होती है। अत: समय इसके दोषों को भली प्रकार परखकर खरीदना चाहिए।
नीलम में निम्न दोष पाए जाते हैं-श्वेत रेखायुक्त, दूध के रंग का, चीरा लगा हुआ या क्राश के चिन्ह से यक्त. दो रंगों वाला, रेखाओं के जाल युक्त, खड्डा युक्त,चमक से रहित छोटे-छोटे सफेद रंग के धब्बों से युक्त तथा लाल रंग के छोटे-छोटे बिन्दुओ से युक्त नीलम दोषयक्त होता है।
इसके धारण करन से वंश व धन का नाश संतान व पत्नी को हानी,रोगवर्धक,प्रिय बंधु घातक,विष प्रभावक व पुत्र सुख नाशक होता है।
हुआ या क्रॉस के चिन्ह से युक्त, दा चमक से रहित, छोटे-छोट
नीलम के उपयोग
Sapphire stone नीलम की अंगूठी शनि दोष निवारण हेतु धारण करते हैं तथा चिकित्सीय क्षेत्र में पागलपन, कफ, रक्त, वमन, विषम ज्वर व नेत्र के सभी विकारों को दूर करने के नि प्रयोग किया जाता है।
नीलम के उपरत्न–नीलम के मुख्य रूप से दो उपरत्न होते हैं, जिन्हें नीलम स्थान पर प्रयोग किया जाता है
1. लीलिया नीलम-यह नीले रंग का तथा हल्की रक्तिम लालिमा यक्त व चमकदार होता है।
2. जमुनिया नीलम-यह जामुनी रंग का होता है तथा हल्के गुलाबी व सफेद रंगों में पाया जाता है। यह चिकना, स्वच्छ व पारदर्शी होता है।
[…] 1.Sapphire, नीलम रत्न | benifits of Sapphire stone 2.Diamond, hira stone, हीरा रत्न | benifits of Diamond stone 3.spinel, spinel red, लालड़ी रत्न | benifits of spinel red […]
[…] 1.Sapphire, नीलम रत्न | benifits of Sapphire stone 2.Gomed, Gomed stone, गोमेद रत्न | benifits of Gomed stone 3.11 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि एवं लाभ […]