पुखराज Topaz
पर्याय नाम-संस्कृत – पुखराज ,पुखराज व पुष्पराज,
गुजराती में-पीलूराज,
पंजाबी –फोस,
फारसी-यकूत,
अंग्रेजी-टोपाज (Topaz)।
परिचय -मूल्यवान जवाहरतों मे पुखराज द्वितीय श्रेणी का रत्न है |पुखराज ग्रेनाइट,नाइस तथा पेगमेटाइट पत्थरों पर आगनीय प्रदार्थों से निकलने वाली जल वाष्प तथा फ्लोरीन गैस की प्रक्रिया से निर्मित होता है तथा इसमें टूर्मेलीन, स्फटिक, टंगस्टन आदि खनिजों के सम्मिश्रण पाए जाते हे |
सामान्यत: पुखराज रंगहीन जल के समान स्वच्छ होता है,तथा अन्य कई रंगों से युक्त भी पुखराज प्राप्त होते हैं।
Topaz की प्राप्ति स्थान
भारत मे महानदी, ब्रह्मपूत्र, हिमालय, विन्ध्याचल, उड़ीसा तथा बंगाल के क्षेत्रों में तथा विदेशों में बर्मा, श्री-लंका, ब्राजील, रूस, जापान, स्काटलैंड, आयरलैंड, सैक्सनी,कार्नवाल, मैक्सिको, कोलोरेडो तस्मानिया आदि स्थानों में पाया जाता है। वैसे जलधार के साथ कंकड़ों पत्थरों में प्रवाहित होकर नदियों में भी कहीं-कहीं पाए जाते हैं।
बर्मा में प्राप्त पुखराज उत्तम श्रेणी का होता है तथा इसमें लोच व चिकनापन अधिक होता है, श्रीलंका में प्राप्त पूखराज पीले, हल्के हरे तथा रंगीन तीन प्रकार होते हैं।
यह दूसरी श्रेणी का पुखराज माना जाता है। रूस में प्राप्त पुखराज नीले वर्ण के होते हैं। आयरलैंड व स्काटलैंड में प्राप्त पुखराज आसमानी रंग के होते हैं | ब्राजील व मीनाजेरी राज्य में प्राप्त पुखराज पीले, हरे, हल्के, गुलाबी रंग के,गहरे लाल, नीले बैंगनी तथा रंगहीन सभी किस्म के पाए जाते हैं।
भौतिक गुण
कठोरता .8, आपेक्षिक घनत्व 6.53, वर्तनांक 1.61 तथा 1.62.दुहरावर्तन 0.008, अपकिरणन 0.014 है तथा इसके रगड़ने से बिजली उत्पन्न होती है।
1.Gomed, Gomed stone, गोमेद रत्न | benifits of Gomed stone
2.Diamond, hira stone, हीरा रत्न | benifits of Diamond stone
3.spinel, spinel red, लालड़ी रत्न | benifits of spinel red
पुखराज के भेद
रंग भेद से पुखराज कई रंगों में पाया जाता है, जिसका कि प्राप्ति स्थान में वर्णन किया जा चुका है। भारत में पुखराज पांच रंगों में पाया जाता है।
1. केसर के रंग के समान,
2. स्वर्ण कर्ण के समान,
3. सफेद वर्ण के समान,
4. हल्दी के रंग के समान,
5. नींबू के छिलके के समान।
पुखराज के गुण
पुखराज को हाथ में लेने पर वजनदार लगता है। रस रत्न सचमुच्चय के अनुसार पुखराज स्थूल, पारदर्शी, वजनदार, स्पर्श में स्निग्ध, पीत कनेर पुष्प के समान या पीताभ वर्ण का अथवा अमलतास के पुष्प के समान वर्ण का होना उत्तम गुण है।
पुखराज के दोष
दोषयुक्त पुखराज (Topaz)को भी अन्य दोष युक्त रत्नों की भाति धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा लाभ के बदले हानि ही होती है। इसमें निम्न दोष पाए जाते हे |
दूधिए रंग का पुखराज, घड़ी रेखा से युक्त पुखराज, लाल-लाल छीटों से युक्त पुखराज ,गड्ढा युक्त पुखराज ,रेखाओं से निर्मित जाल से युक्त पुखराज, सफेद पुखराज।
एक से अधिक रंगों से युक्त पुखराज के धारण करने से शास्त्राघात, बन्ध बन्धवों स्वास्थ्य नाश, धन-सम्पत्ति का हानि, गृहस्थ जीवन का नाश सन्तान कष्ट ववंस नाश,आयु नाश होने की संभावना होती हे |
असली-नकली पुखराज की पहचान
अन्य रत्नों की भांति पुखराज(Topaz) भी नकली रूप में बाजार में प्राप्त होते हैं। अत: निम्न आधार पर असली नकली पुखराज का निर्णय किया जा सकता है
1. पखराज को गोबर से रगड़ने से असली में चमक बढ़ जाती है, जबकि नकली में चमक मन्द पड़ जाती है।
2. सफेद या साफ रुई पर रखकर पुखराज को धूप में रखने पर इसमें से नीले रंग की आभा निकलती है तो असली अन्यथा नकली।
3. पुखराज आग में तपाने पर नकली चटख जाता है अथवा रंग भी ज्यों का त्यों ही बना रहता है, तो भी नकली होता है। पुखराज तपाने से चटखे नहीं अथवा उसका रंग बदलकर सफेद रंग का हो जाये तो असली है।
4. पुखराज को 34 से 36 घंटे तक दूध में डुबोये रहने के उपरान्त निकालते हैं, यदि उसकी चमक पूर्व की ही भांति स्थिर रहती है तो असली और मन्द पड़ती है तो नकली।
5. असली पुखराज किसी आघात से टूटता है तो सभी बाद के आघातों से भी वह उसी स्थान व दिशा पर टूटेगा अन्यत्र नहीं जबकि नकली में ऐसा नहीं होता।
पुखराज का उपयोग
Topaz पुखराज वृहस्पति ग्रह के दोषों को शान्त करने व उनके यश को बढ़ाने के लिए धारण करते हैं। यह बल-बुद्धि,आयु , स्वास्थय, यश, कीर्ति, अन्न-धन्न आदि की वृद्धि करता है। आध्यात्मिक विचारों को वृद्धि करता है। भूत-प्रेत बाधा, कष्ट, क्षय रोग , पागलपन आदि को भी दूर करता है।
असली पुखराज को विषैले जन्तु या जानवरों द्वारा कटे हुए स्थान पर रखने से विष का प्रभाव कम होता है।
पुखराज के उपरत्न
पुखराज के भी चार उपरत्न हैं जिन्हें कि पुखराज के स्थान पर ग्रहण किया जाता है। ये निम्न हैं
1. संग सानेला-यह सुनहरा स्निग्ध पारदर्शक, चमकदार मृदु होता है। यह हिमालय तथा क्षिप्रा नदी के तटवर्ती प्रदेशों व तुर्कीस्तान में पाया जाता है।
2. संग सोना मक्खी –यह भार में हल्का तथा रंग में सोना व चांदी के समान पीत या श्वेत चमक से युक्त होता है। यह काबुल, श्रीलंका तथा तिब्बत में पाया जाता है।
3. संग कहरुवा-यह चमकदार, चिकना तथा हल्के पीतवर्ण का होता है, यह बर्मा चीन तथा ईरान में पाया जाता है।
4.संग धिया कपूर-यह पीतल के रंग का होता है। इसे तोडने पर सफेद रंग। का दिखाई देता है तथा कपूर की तरह सुगन्ध निकलती है, इसे आग में जलाने से चिरचिराहट की ध्वनि होती है। यह ईरान में बहुतायत मात्रा में उपलब्ध हैं |
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